भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसी कहानियाँ हैं जहाँ संघर्ष और समर्पण ने गुमनामी के अंधेरे से निकलकर सफलता के उजाले तक का सफर तय किया है। बिहार के लाल सकीबुल गनी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, लेकिन उनकी इस सफलता के पीछे उनके बड़े भाई फैजल गनी का वह त्याग है, जिसने एक छोटे भाई के भीतर के क्रिकेटर को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई।
फैजल गनी: अधूरे सपने का दूसरा नाम
सकीबुल गनी आज बिहार क्रिकेट टीम के कप्तान हैं, लेकिन इस मुकाम तक पहुँचने का रास्ता फैजल गनी के बलिदानों से होकर गुजरता है। फैजल खुद एक बेहतरीन क्रिकेटर बनना चाहते थे। उन्होंने कूच बेहार और विज्जी ट्रॉफी में अपना हुनर दिखाया, लेकिन उस समय बिहार क्रिकेट की प्रशासनिक बदहाली और सुविधाओं की कमी के कारण उनका करियर आगे नहीं बढ़ सका। फैजल ने अपना सपना टूटने दिया, लेकिन उसे मरने नहीं दिया। उन्होंने अपने छोटे भाई सकीबुल की आँखों में वही सपना देखा और उसे पूरा करने का संकल्प लिया।
मोतिहारी से वर्ल्ड रिकॉर्ड तक का सफर
सकीबुल के लिए राहें आसान नहीं थीं। उनके पिता अदनान गनी, जो पेशे से किसान थे, चाहते थे कि उनके बेटे पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दें। लेकिन फैजल ने पिता के विरोध के बावजूद सकीबुल के जुनून को आंच नहीं आने दी। बिहार के मोतिहारी जैसे जिले में जहाँ न अच्छी एकेडमी थी और न ही पिच, वहाँ फैजल ने खुद पैसे जुगाड़ कर घर के पास एक सीमेंट की पिच तैयार की और नेट लगाकर खुद ही कोच की भूमिका निभाई।
सकीबुल की मां का योगदान भी अविस्मरणीय है। जब क्रिकेट किट और बल्ले के लिए पैसे कम पड़े, तो उन्होंने अपने जेवर तक बेच दिए। परिवार के इस सामूहिक त्याग ने सकीबुल को मैदान पर डटे रहने की ताकत दी।
धमाकेदार डेब्यू और विश्व रिकॉर्ड
अक्टूबर 2019 में लिस्ट-ए और 2021 में टी20 डेब्यू के बाद भी सकीबुल को वह पहचान नहीं मिली थी जिसके वे हकदार थे। लेकिन फरवरी 2022 में रणजी ट्रॉफी के दौरान उन्होंने वह कारनामा किया जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
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वर्ल्ड रिकॉर्ड पारी: मिजोरम के खिलाफ अपने फर्स्ट क्लास डेब्यू मैच में सकीबुल ने 341 रन की महाकाय पारी खेली।
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इतिहास रचा: यह प्रथम श्रेणी क्रिकेट के इतिहास में किसी भी बल्लेबाज द्वारा डेब्यू मैच में बनाया गया सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर है। उन्होंने अजय रोहेरा (267 रन) के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया।
2025: विजय हजारे ट्रॉफी में नया कीर्तिमान
सकीबुल की भूख यहीं शांत नहीं हुई। साल 2025 उनके करियर के लिए एक और स्वर्णिम वर्ष साबित हुआ। विजय हजारे ट्रॉफी में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ मैच के दौरान उन्होंने महज 32 गेंदों पर शतक जड़कर सनसनी फैला दी। इस पारी के साथ वे लिस्ट-ए क्रिकेट में सबसे तेज शतक जड़ने वाले भारतीय बल्लेबाज बन गए।
निष्कर्ष: एक 'डायरेक्टर' और उसका 'सुपरस्टार'
सकीबुल गनी आज जो कुछ भी हैं, उसके पीछे उनके भाई फैजल गनी की 'डायरेक्शन' है। फैजल ने केवल पिच ही नहीं बनाई, बल्कि सकीबुल के मानसिक साहस को भी तराशा। आज जब सकीबुल बिहार टीम की कप्तानी करते हैं और रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज कराते हैं, तो वह जीत केवल उनकी नहीं, बल्कि उस बड़े भाई की भी होती है जिसने खुद हारकर अपने भाई को जीतना सिखाया।
सकीबुल की यह कहानी साबित करती है कि यदि परिवार का साथ और एक मार्गदर्शक भाई का साया हो, तो अभावों के बीच से भी विश्व विजेता निकला जा सकता है।