पटना: बिहार में नई सरकार के गठन का सस्पेंस खत्म होने के बाद अब गुरुवार, 20 नवंबर को शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री साक्षी बनेंगे। हालांकि, इस महत्वपूर्ण दिन से पहले, सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दोनों प्रमुख घटक दलों – बीजेपी और जेडीयू के बीच गृह मंत्रालय के बंटवारे को लेकर गतिरोध बना हुआ है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस बार राज्य के गृह मंत्रालय का पद अपने पास रखना चाहती है और अपना गृहमंत्री नियुक्त करने की इच्छुक है। इसके विपरीत, जेडीयू पिछली बार की तरह ही यह महत्वपूर्ण विभाग अपने पास बनाए रखने पर अड़ी है। यह विवाद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2005 में जब से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हैं, तब से लेकर अब तक गृह मंत्रालय हमेशा जेडीयू के कोटे में रहा है, और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही इस विभाग को संभाला है। गृह विभाग राज्य के भीतर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली विभाग है, जिसमें पुलिस प्रशासन, अपराध नियंत्रण, अग्निशमन और जेल प्रशासन से संबंधित कार्य शामिल हैं। यह सीधे तौर पर नागरिकों की सुरक्षा और राज्य की स्थिरता को प्रभावित करता है, इसलिए इसका महत्व सरकार में किसी अन्य विभाग से कम नहीं है।
स्पीकर पद पर बनी सहमति, छोटे समारोह पर जोर
विभागीय बंटवारे पर गतिरोध के बावजूद, गठबंधन के भीतर अन्य महत्वपूर्ण पदों पर सहमति बनती दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक, नई सरकार में विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) और दो उप-मुख्यमंत्री का पद बीजेपी के कोटे से होगा। शपथ ग्रहण समारोह को लेकर भी एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। बीजेपी चाहती है कि यह शपथ ग्रहण समारोह छोटा रखा जाए। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी का मानना है कि केवल मुख्यमंत्री और कुछ प्रमुख मंत्रियों को ही 20 नवंबर को शपथ दिलाई जाए, और बाकी मंत्रियों को बाद में शपथ दिलाई जाए। नीतीश कुमार पटना के गांधी मैदान में 10वीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे, जो अपने आप में एक खास राजनीतिक रिकॉर्ड है।
गृह विभाग की संवैधानिक शक्तियां
यह विवाद गृह विभाग की निहित शक्तियों और महत्व को उजागर करता है। संविधान सीधे तौर पर किसी विभाग को शक्ति नहीं देता, बल्कि केंद्र और राज्यों को कानून और व्यवस्था से संबंधित जिम्मेदारियां सौंपता है, जिनका पालन गृह मंत्रालय/विभाग करता है। राज्य के भीतर गृह विभाग की जिम्मेदारियों में आंतरिक सुरक्षा, सीमा प्रबंधन (यदि लागू हो), केंद्र-राज्य संबंध, और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से समन्वय आदि शामिल हैं। ये शक्तियां राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखने, अपराध पर नियंत्रण रखने और नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
इस महत्वपूर्ण विभाग पर जारी खींचतान, नई सरकार के गठन के शुरुआती दौर में ही बीजेपी और जेडीयू के बीच शक्ति संतुलन की पेचीदगियों को दर्शाती है। अब देखना यह है कि शपथ ग्रहण समारोह से पहले यह गतिरोध कब और किस रूप में खत्म होता है।