बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले साल के 'जुलाई विद्रोह' के दौरान मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों का दोषी मानते हुए मौत की सज़ा सुनाई है। कोर्ट ने उन्हें निहत्थे नागरिकों पर गोली चलवाने का दोषी माना। कोर्ट ने 6 हिस्सों में 453 पेज का फैसला सुनाते हुए कहा कि हसीना जनवरी 2024 के बाद से ही तानाशाह बनने की ओर अग्रसर थीं और उन्होंने विपक्ष को कुचलने के बाद सड़कों पर उतरे छात्रों पर गोलियां चलवाईं।
अन्य दोषियों को सज़ा
इस ऐतिहासिक फैसले में हसीना के दो सहयोगियों को भी सज़ा सुनाई गई है:
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पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल: इन्हें भी सज़ा-ए-मौत (Death Penalty) दी गई है।
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पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (IGP) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून: इन्हें सरकारी गवाह बनने के एवज में 5 साल जेल की सज़ा दी गई है।
सबसे बड़ा सवाल: भारत में होने पर फाँसी कैसे?
चूंकि तख़्तापलट के बाद शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं, उन्हें सज़ा देने का पूरा मामला अब अंतर्राष्ट्रीय और द्विपक्षीय कानूनी प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है। हसीना को गिरफ़्तार करके बांग्लादेश को सौंपने के लिए आगे ये प्रक्रिया अपनाई जाएगी:
1. इंटरपोल के ज़रिए गिरफ्तारी वारंट (रेड नोटिस)
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इंटरपोल (International Criminal Police Organization): बांग्लादेश की सरकार अब दुनिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय पुलिस संगठन, इंटरपोल, की मदद लेगी।
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रेड कॉर्नर नोटिस: बांग्लादेश सरकार इंटरपोल को आधिकारिक अनुरोध भेजेगी कि शेख हसीना के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाए। रेड नोटिस एक अंतर्राष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट की तरह काम करता है, जो 194 सदस्य देशों को भगोड़े अपराधियों को गिरफ़्तार करने में मदद करता है।
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इंटरपोल नोटिस जारी होने के बाद सभी सदस्य देशों की पुलिस हसीना की तलाश और गिरफ़्तारी के लिए अलर्ट हो जाएगी।
2. भारत को आधिकारिक सूचना
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चूंकि हसीना इस समय भारत में हैं, बांग्लादेश सरकार भारत को औपचारिक रूप से सूचित करेगी कि इंटरपोल नोटिस जारी हो चुका है।
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इसके साथ ही, बांग्लादेश भारत से प्रत्यार्पण (Extradition) सहयोग की मांग करेगा, जिसके तहत हसीना को गिरफ़्तार करके कानूनी कार्रवाई के लिए बांग्लादेश को सौंपा जाए। यह प्रक्रिया दोनों देशों के बीच की प्रत्यार्पण संधि (Extradition Treaty) पर निर्भर करेगी।
3. भारत की अहम भूमिका
इस पूरे मामले में भारत की भूमिका निर्णायक होगी:
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राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव: भारत, बांग्लादेश के सबसे बड़े पड़ोसी और करीबी सहयोगी के रूप में, इस मामले पर राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से विचार करेगा। हसीना भारत की पुरानी सहयोगी रही हैं, इसलिए भारत का फैसला जटिल हो सकता है।
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प्रत्यार्पण या शरण: भारत के पास यह विकल्प होगा कि वह बांग्लादेश के अनुरोध को स्वीकार करे और हसीना को गिरफ़्तार करके सौंप दे, या फिर कानूनी/राजनीतिक आधार पर यह कहते हुए अनुरोध को ठुकरा दे कि वह हसीना को गिरफ़्तार नहीं करेगा या सौंपेगा नहीं।
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संयुक्त राष्ट्र का रुख: यदि भारत बांग्लादेश के अनुरोध को खारिज करता है, तो बांग्लादेश इस मामले को संयुक्त राष्ट्र (UN) के पास ले जा सकता है, जहाँ वह भारत पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश करेगा।
यह मामला न सिर्फ़ शेख हसीना के भविष्य का निर्धारण करेगा, बल्कि भारत-बांग्लादेश के संबंधों की मज़बूती और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सहयोग की जटिलताओं को भी परखेगा।