बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए फांसी की सज़ा सुनाई है। इस फैसले ने न केवल बांग्लादेश, बल्कि पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। कोर्ट ने यह फैसला पिछले साल हुए छात्र-नेतृत्व वाले हिंसक विरोध प्रदर्शनों को दबाने में उनकी कथित भूमिका पर हुई सुनवाई के बाद सुनाया है।
पूर्व प्रधानमंत्री के साथ, अदालत ने उनके पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मौत की सज़ा सुनाई, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को राज्य का गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया। हसीना और कमाल को भगोड़ा घोषित किया गया है, क्योंकि वे पिछले साल 5 अगस्त को देश छोड़कर भारत भाग गए थे।
कोर्ट ने किन 5 गंभीर आरोपों पर सुनाया फैसला?
ICT ने शेख हसीना को मुख्य रूप से 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई 1400 से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। ट्रिब्यूनल ने उन्हें इन 5 प्रमुख आरोपों पर दोषी पाया, जिनमें मानवता के खिलाफ अपराध शामिल हैं:
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न्याय को रोकने के लिए उकसाना: कोर्ट ने माना कि हसीना ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को नज़रअंदाज़ किया और उन्हें आपत्तिजनक रूप से 'रजाकार' कहकर हिंसा भड़काई।
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हत्याओं का आदेश देना: ट्रिब्यूनल ने पाया कि उन्होंने छात्रों के प्रदर्शन को दबाने के लिए हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों और घातक हथियारों का इस्तेमाल करने का सीधा आदेश दिया था।
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दंडात्मक हिंसा को रोकने में विफलता: कोर्ट ने उन्हें अपने आदेश के तहत या निष्क्रियता के माध्यम से प्रदर्शनकारियों पर की गई दंडात्मक हत्याओं और हिंसा को रोकने में विफल रहने का दोषी ठहराया।
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हत्या और नरसंहार: हसीना को 5 अगस्त को चंखारपुल में 6 प्रदर्शनकारियों की हत्या सहित व्यापक नरसंहार और हत्या के मामलों में दोषी माना गया है।
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सबूत नष्ट करना (Ashulia में शवों को जलाना): उन पर यह आरोप भी था कि उन्होंने कुछ शवों को जलाने का आदेश देकर साक्ष्य नष्ट करने का प्रयास किया।
कोर्ट की कार्यवाही और हसीना का रुख
जस्टिस मोहम्मद गोलाम मजूमदार की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने अपने 453 पन्नों के फैसले में कहा कि हसीना सरकार ने छात्रों की मांगों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया और जब वे सड़कों पर उतरे, तो पूर्व पीएम के आपत्तिजनक बयान ने हिंसा को भड़का दिया। कोर्ट ने यह भी माना कि उनके आदेश पर ही तत्कालीन गृह मंत्री और आईजी ने कार्रवाई की, जिससे भारी संख्या में छात्रों की मौत हुई।
हालांकि, शेख हसीना ने इस फैसले को "पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित" बताते हुए खारिज कर दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि यह फैसला अवामी लीग को एक राजनीतिक ताकत के रूप में खत्म करने की एक सुनियोजित कोशिश है, और उन्होंने दावा किया कि वह "सद्भावना से काम कर रही थीं और जानमाल के नुकसान को कम करने की कोशिश कर रही थीं"।
अंतर्राष्ट्रीय चुनौती: प्रत्यर्पण का मुद्दा
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल जुलाई से अगस्त के बीच हुई हिंसा में लगभग 1400 लोग मारे गए थे और हज़ारों घायल हुए थे। हसीना के देश छोड़कर भारत भागने के बाद, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार लगातार उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रही है। अब, इस मौत की सज़ा के बाद, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत पर हसीना के प्रत्यर्पण के लिए और अधिक दबाव बनाएगी। हालांकि, राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोपों में प्रत्यर्पण को ठुकराने के प्रावधानों के चलते भारत का अगला कदम एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती होगा।