वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन (BBC) के बीच विवाद गहराता जा रहा है। हाल ही में बीबीसी द्वारा प्रसारित एक डॉक्यूमेंट्री को लेकर उपजे तनाव के बीच, राष्ट्रपति ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से बीबीसी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ट्रंप ने सीधे तौर पर बीबीसी को "वामपंथी प्रचार मशीन" करार दिया है और दावा किया है कि इस सार्वजनिक प्रसारक को ब्रिटिश करदाताओं से सब्सिडी मिलती है।
डॉक्यूमेंट्री पर 'तोड़-मरोड़' का आरोप
विवाद की जड़ बीबीसी द्वारा हाल ही में प्रसारित की गई एक डॉक्यूमेंट्री है। राष्ट्रपति ट्रंप का आरोप है कि इस डॉक्यूमेंट्री में उनके साल 2021 के एक भाषण को जानबूझकर तोड़-मरोड़कर और बेईमानी से संपादित करके दिखाया गया है। ट्रंप के अनुसार, भाषण के कई हिस्सों को काटकर उसे भड़काऊ और गलत संदर्भ में पेश किया गया। इस 'दुर्भावनापूर्ण' संपादन के जवाब में, राष्ट्रपति ट्रंप ने कंपनी पर मुकदमा दर्ज कराया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने की पुष्टि
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने आरोपों की पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप बीबीसी द्वारा उनके भाषण के इस जानबूझकर किए गए संपादन से बेहद चिंतित हैं। लेविट ने पत्रकारों को बताया, "राष्ट्रपति के बाहरी वकील ने बीबीसी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है और उम्मीद है कि यह मुकदमा जारी रहेगा।" उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा: "राष्ट्रपति ने स्पष्ट कर दिया है कि बीबीसी एक वामपंथी प्रचार मशीन है, जिसे दुर्भाग्य से ब्रिटिश करदाताओं द्वारा सब्सिडी दी जाती है। और उनका मानना है कि यह यूनाइटेड किंगडम और ग्रेट ब्रिटेन के महान लोगों के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।" ट्रंप का यह मानना है कि बीबीसी जैसी संस्था को, जिसे ब्रिटिश जनता के पैसे से चलाया जाता है, उसे एक विशेष राजनीतिक विचारधारा का प्रचार नहीं करना चाहिए।
विवाद के राजनीतिक मायने
अमेरिका में यह विवाद ऐसे समय में गर्म हो रहा है जब राष्ट्रपति ट्रंप कई आंतरिक राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उनके समर्थक इसे मीडिया द्वारा उन पर किया गया एक और हमला मान रहे हैं, जबकि विरोधी बीबीसी के कवरेज को सही ठहरा रहे हैं। इस मुकदमे और सार्वजनिक बयानबाजी ने अमेरिका और ब्रिटेन के बीच मीडिया की स्वतंत्रता और राजनीतिक पक्षपात को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। राष्ट्रपति ट्रंप के इन कड़े बयानों से यह साफ है कि वह इस मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और बीबीसी पर अपने आरोपों को साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।
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